Maha Shivratri : 27 February 2014
रुद्राभिषेक : नवग्रह शांति का राम बाण :
इस पूजा में शिवलिंग की विधिवत पूजा की जाती है. शिव परिवार सहित
शिवलिंग पर धरा से (दुग्ध धरा, जल धरा, घृत धरा, गन्ने के रस की धरा, दुग्ध मिश्रित जल सहारा इत्यादि से )
लगातार धारा से अभिषेक करते हुए रूद्र पाठ किया जाता है
रूद्र पाठ की प्रचलित विधियाँ:
१) शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी का पाठ( १ या ११ बार)
२) शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी का पंचम और अष्टम अध्याय का पाठ
३) कृष्णा यजुर्वेदीय पाठ का "नमक" पाठ ११ बार. हर पाठ के बाद "चमक" पाठ के एक श्लोक का पाठ (एकादश रूद्र पाठ )
४) शिव सहस्रनाम पाठ
५) रूद्र सुक्त का पाठ
अभिषेक के बाद पुनः पूजन किया जाता है .
ग्रह शांति के लिए अभिषेक के साथ नवग्रह( अथवा किसी विशेष ग्रह के बीज मंत्र ) का जप, नमः शिवाय मंत्र का जप अथवा महाम्रित्युम जाया जप करवाना प्रभावशाली होता है
रुद्राभिषेक विशेष मुहुरतों में तथा तीरथ स्थान में करवाने से अत्यधिक शुभ फल देने वाला होता है.
इस पूजन से राहु, शनि की दशा, अशुभ गोचर, नाडी दोष, सर्प दोष, मंगल दोष, कलत्र दोष, विष दोष, केमद्रुम दोष.
विशेष पूजन विधि की सामर्थ्य न हो तो केवल रोज़ नियम से मंदिर में जा कर शिवलिंग की जल धरा से अभिषेक करिए.
जल में नवग्रह शांति के लिए कच दूद, गंगा जल, काले तिल, ध्रुवा आदि दाल लेना अच्छा रहता है
ॐ नमो भगवते रुद्राये
नमस्ते अस्तु भगवन विश्वेश्वराय महादेवाय त्रयम्बकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकालाग्निकालाय कालाग्नीरुद्राय नीलकंठाय मृत्युमजयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन महादेवाय नमः
|| सदा रक्षतु शंकरः || सदा रक्षतु शंकरः || सदा रक्षतु शंकरः ||
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